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टाइगर पटौदी की 79वीं जयंती: एक आंख से खेलते थे क्रिकेट

भारतीय क्रिकेट को कप्तानों की शानदार विरासत मिली है, और अगर आज राष्ट्रीय टीम सुरक्षित हाथों में है, तो इसका श्रेय इन पूर्व कप्तानों को दिया जाना चाहिए। एक कप्तान टीम की रीढ़ की हड्डी होता है जो पूरे टीम को अपने साथ जोड़कर खड़ा रखता है। आज उन्हीं महान कप्तानों में से एक कप्तान मंसूर अली खान का जन्म दिन है।

क्रिकेट के नवाब के नाम से मशहूर मंसूर अली खान पटौदी का आज जन्म दिन है। मंसूर के पिता इफ्तिखार भी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे थे। मंसूर को क्रिकेट अपने पिता से विरासत के तौर पर मिली थी। मंसूर को उनके फैंस और उनके टीम मेट्स “टाइगर” पटौदी के नाम से बुलाते थे।

उनकी शादी शर्मिला टैगोर से हुई थी। हालाँकि ये भी कहा जाता है कि उन्होंने 4 साल तक शर्मिला टैगोर को लैटर लिख कर अपने प्यार का इज़हार किया था। उनके 3 बच्चे है जो आज बॉलीवुड के बड़े सितारों में शामिल है सेफ अली खान, सोहा अली खान और सबा अली खान।

मंसूर अली खान पटौदी का बचपन भारतीय राजनीतिक इतिहास में एक कठिन दौर के साथ बीता, जैसे-जैसे आजादी आई हालात नार्मल हुए और वो सँभले। 

पटौदी ने दुर्भाग्यवश अपने पिता को कम उम्र में खो दिया था, लेकिन बल्ले से उनकी सफलता कभी नहीं डूबी। उन्होंने 16 साल की उम्र में फर्स्ट-क्लास क्रिकेट की शुरुआत की, और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के लिए खेलने गए। उनके बल्ले से रन निकले, और जल्द ही वह राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गए।ज़िन्दगी ने प्रतिभाशाली युवा पर एक और क्रूर प्रहार किया, 1 जुलाई 1961 को, वह एक कार दुर्घटना का शिकार हुए जिसमे उन्होंने अपनी दायीं आँख की रोशनी खो दी। 

जिंदगी के उनकी कई कठीन परीक्षाएं ली और उन्होंने उसका डट का मुकाबला किया।

उनकी जगह अगर कोई और क्रिकेटर होता तो शायद क्रिकेट छोड़ देता और कोई काम करता, पर पटौदी सिर्फ नाम से टाइगर नहीं थे अपने हिम्मत के लिए भी उन्हें टाइगर कहा जाता था।

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